Movie Review Delhi Bus: निर्भया कांड पर आधारित फिल्म ‘दिल्ली बस’ का दमदार निर्देशन

निर्माता : विपुल शाह
निर्देशक: शरीक मिन्हाज
सह-निर्माता: तारिक खान
स्टारकास्ट: नीलिमा आजमी, ताहिर कमाल खान ,अंजन श्रीवास्तव, आज़ाद हुसैन, दिव्या सिंह ,जावेद हैदर ,शीश खान और विक्की आहूजा व अन्य
प्रचारक: संजय भूषण पटियाला
रिलीज डेट: 29 नवंबर 2024
रेटिंग : 3.5 स्टार

समीक्षा

16 दिसंबर 2012 की एक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। चलती बस में एक लड़की के साथ जिस तरीके से दरिंदगी की गई। उसने हमारे समाज को शर्मसार कर दिया। इस घटना के दोषियों को सजा भी मिली, लेकिन हमारे देश में आज भी रेप जैसी घटनाएं घट रही हैं।

फिल्म की कहानी

फिल्म ‘दिल्ली बस’ की कहानी 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुई निर्भया रेप केस पर आधारित है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि फिल्म के नायक और नायिका की दिल्ली की सुनसान सड़क पर बाइक खराब हो जाती है। मुश्किल से एक ऑटो रिक्शा वाला मिलता है। वह भी उन्हें घर छोड़ने से मना कर देता है।तभी वहां से एक बस गुजरती है। बस वाले खुद रोककर लिफ्ट देती है, जिसमें पहले से 6 लोग शराब के नशे में धुत मौजूद रहते हैं। बस में युवती को देख वे बेकाबू हो जाते हैं। लड़की के ब्वॉयफ्रेंड को बुरी तरह से घायल करके लड़की के साथ रेप करते हैं।

फिल्म का निर्देशन

इस फिल्म का निर्देशन शरीक मिन्हाज ने किया है। हालांकि, निर्भया रेप कांड से पूरी दुनिया अच्छी तरह से वाकिफ है। फिर भी उसी घटना को केंद में रखकर जिस तरह से फिल्म को उन्होंने प्रजेंट किया है। वह कबीले तारीफ है। रेप जैसे जघन्य अपराध पर एक बार भी लंबी बहस छिड़ती है। सामने जो निष्कर्ष निकलकर आता है। वह यही है कि रेप से बढ़कर कोई अपराध नहीं होता है और फांसी से बढ़कर कोई सजा नहीं।

स्टार कास्ट की एक्टिंग

फिल्म के सभी कलाकारों ने कबीले तारीफ काम किया। रेप करने वाले लड़कों के चेहरे पर जितनी दरिंदगी दिखी है। उससे कहीं ज्यादा रेपिस्ट लड़की की बेबसी और लाचारी दिखी है। जो दिल को झकझोर देता है। दिव्या सिंह, नीलिमा आजमी, ताहिर कमाल खान ,अंजन श्रीवास्तव, आज़ाद हुसैन ,जावेद हैदर ,शीश खान और विक्की आहूजा ने अपने अपने किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय करने की कोशिश की है।

फिल्म की तकनीकी पक्ष

फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और एडिटिंग अच्छी है। फिल्म का म्यूजिक कहानी को आगे बढ़ाता है। बैकग्राउंड म्यूजिक सामान्य है। इस पर थोड़ा सा और काम करने की जरूरत थी।

फिल्म देखे या ना देखे

फिल्म करीब 6 साल पहले बनी थी, लेकिन सेंसर में अटकी रही। तब अगर यह फिल्म रिलीज होती तो इस फिल्म को जरूर फायदा मिलता है। फिर भी इस फिल्म का विषय ऐसा है कि इसे एक बार बड़े पर्दे पर जरूर देखा जा सकता है। इस फिल्म को देखने के बाद ऐसा लगता है कि यह फिल्म निर्भया के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है। जिसने अपनी जिंदगी और सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी।

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